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आज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद गढ़वा जिला इकाई द्वारा स्थानीय जिला समाहरणालय के समक्ष राज्य सरकार के शिक्षा, रोजगार, व महिला सुरक्षा पर पांच वर्षों के कुशासन व निरंकुशता के विरोध में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन का आयोजन किया गया। धरना में मुख्य रूप से अखिल भारतीय प्रादेशिक विश्वविद्यालय सह प्रमुख विनीत पांडे मौजूद रहे। विनीत पांडेय ने कहा कि 2019 के विधानसभा चुनाव में विद्यार्थियों को शिक्षा, युवाओं को रोजगार और महिलाओं को सुरक्षा एवं समान अधिकार के वादे पर राज्य की जनता ने हेमंत सोरेन को अवसर प्रदान किया। सरकार को चुनते समय 19 वर्ष का युवा आज 24 वर्ष पूरे करने के कगार पर खड़ा है। लेकिन अपना व्यस्क राज्य झारखंड आज भी गरीबी और कमजोर प्रशासन की मार झेल रहा है। देश के 40 प्रतिशत खनिज संपदा से परिपूर्ण इस राज्य में आज भी लगभग 40 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। वहीं लगभग 20 प्रतिशत शिशु और बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। तिलका मांझी और सिदो कान्हू के रक्त से सींचा गया राज्य झारखंड आज भी अपनी तंग हाली पर रो रहा है। आज भी यहां के मूल निवासी अनाज के लिए तरसते हुए जान दे रहे हैं। राज्य सरकार के मंत्री एवं कई अधिकारियों ने झारखंड को लूट खंड बना कर रख दिया है। सरकार के मुखिया स्वयं सेना की जमीन घोटाले के आरोप में जेल जा चुके हैं और अभी जमानत पर बाहर हैं। मुख्यमंत्री और मंत्रियों एवं सत्ताधारी राजनीतिक दलों के अधिकारियों ने भी राज्य को लूटने में कोई अवसर नहीं छोड़ा। इनके द्वारा खुलेआम जल, जंगल एवं जमीन को मिटाने का प्रयास किया गया। विभाग सह संयोजक शशांक ने कहा कि पिछले 5 वर्षों में शिक्षा,सुरक्षा, रोजगार,समाज कल्याण और अन्य सरकारी व्यवस्था की तरह ही राज्य की स्वास्थ्य सुविधाओं और स्थिति में कोई बड़ी परिवर्तन देखने को नहीं मिल रहा है। राज्य की सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था की स्थिति अत्यंत ही दयनीय और चिंताजनक है। राष्ट्रीय स्तर पर आज भी समाज के गरीब और शोषित वर्गों तक स्वास्थ्य सेवाएं की पहुंच के मामले में झारखंड काफी पीछे हैं। राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था सड़क पर छितराये हुए किसी दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति सा है,जो चीखकर बेरहमी से रोंदने वाली सरकार से अपनी जान बचाने हेतु गुहार लगा रही है। जिला संयोजक शुभम तिवारी ने कहा कि साल में 5 लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा हो अथवा झारखंड की बेटियों को प्राथमिक विद्यालय से पीएचडी तक की मुफ्त शिक्षा का वादा, राज्य के जनमानस को उत्तम स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाने का वादा, सरकार अपने हर वादे को पूरा करने में पूरी तरह से नाकाम रही है। विगत 5 वर्षों में शिक्षा वेंटिलेटर पर आ चुकी है। यहां ना तो विश्वविद्यालय में नियमित कुलपति है ना तो कॉलेज में नियमित प्रधानाचार्य। शिक्षक की कमी का असर गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई पर हो रही है। जिसके कारण झारखंड राज्य के विद्यार्थी बाकी राज्य की तुलना में रोजगार और जीवन मूल्यों के मापदंड में पिछड़ते जा रहे हैं। आखिर इस सब का जवाबदेह कौन है। धरना में विश्वविद्यालय संयोजक मंजुल शुक्ल,प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य राजा यादव, सचिन चौबे,प्रिंस सिंह,अंकित कुमार, प्रवीण,विनोद प्रसाद, दीपक, मिथुन, कुंदन, हरिवंश, राजन, राकेश, मधु, पिंकी, नेहा, सुषमा, काजल,अंजलि, निधि, प्रीति सहित सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल रहे।
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