0 0
Share
Read Time:5 Minute, 16 Second
नरगिर बाबा के इस तपोभूमि पर मां गढ़देवी के छत्रछाया मे चल रहे रामकथा यज्ञ के अंतिम दिवस श्रद्धालुओ की भीड़ उमड़ पड़ी। अंतिम दिन की कथा मे सुंदरकांड, लंकाकांड और उतरकांड मे वर्णित विभिन्न प्रसंगों का सारगर्भित विवेचन पूज्य सन्त प्रपन्नाचार्य जी द्वारा किया गया।
   वन गमन के दौरान भगवान श्री राम ने कई ऋषि मुनियों के दर्शन किए तथा उनका उद्धार भी किया। भारद्वाज जी ने उन्हे वन मे जाने का मार्ग, वाल्मिकीजी ने रहने का स्थान तथा अगस्त मुनि ने राक्षसों के संहार के लिए विविध दिव्यास्त्र दिए।एक ऋषि जो दक्षिण भारत में रहते थे। वनवास के समय श्रीराम दर्शनार्थ ऋषि
सर्वभंग के आश्रम पर गये। यह समाचार पाकर इन्होंने इन्द्र के साथ ब्रह्मलोक न जाकर, राम दर्शन को ही उत्तम समझा और श्रीराम के सामने ही योगाग्नि से अपने शरीर को भस्म कर दिव्य धाम को गये थे।सुतीक्ष्ण अगस्त्य मुनि के शिष्य थे। एक दिन सुतीक्ष्ण मुनि ने सुना कि श्रीराम उनके आश्रम की ओर आ रहे हैं। ये सुनते ही सुतीक्ष्ण का उत्साह बहुत बढ़ गयाआगे प्रपन्नाचार्य जी ने कहा कि शबरी भील समाज से थी. भील समाज में किसी भी शुभ अवसर पर पशुओं की बलि दी जाती थी, लेकिन शबरी को पशु-पक्षियों से बहुत स्नेह हुआ करता था. इसलिए पशुओं को बलि से बचाने के लिए शबरी ने विवाह नहीं किया और ऋषि मतंग की शिष्या बन गई और ऋषि मतंग से धर्म और शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त किया.राम ने शबरी को भक्ति के नौ प्रकार बताए।पहली भक्ति है संतों का सत्संग। दूसरी भक्ति है मेरे कथा प्रसंग में प्रेम। तीसरी भक्ति है अभिमानरहित होकर गुरु के चरण कमलों की सेवा और चौथी भक्ति यह है कि कपट छोड़कर मेरे गुण समूहों का गान करें। राम मंत्र का जाप और मुझमें दृढ़ विश्वास- यह पाँचवीं भक्ति है, जो वेदों में प्रसिद्ध हैसत्य को असत्य एवम असत्य को सत्य मान लेना ही माया है। राम सत्य हैं और संसार माया है। रावण और कुंभकर्ण जो पूर्व मे जय विजय थे उन्हे शाप से शीघ्र मुक्त होने के लिए कहा गया कि भगवान विष्णु से वैर मोल ले लो।  लंका विजय के बाद भगवान राम ने आदरपूर्वक वह राज्य रावण के भाई विभीषण को लौटाकर अपनी उदारता और दयालुता का परिचय दिया।भगवान राम ने लक्ष्मण को मरणासन्न रावण से सीख लेने के लिए भेजा।रावण लक्ष्मण से कहते हैं कि, किसी शुभ या अच्छे काम को करने में कभी भी देर नहीं करनी चाहिए. लेकिन बुरे या अशुभ काम के प्रति जितना हो सके मोह वश में करे या उसे टालने का प्रयास करे. व्यक्ति को कभी भी अपनी शक्ति और पराक्रम का घमंड नहीं करना चहिए।कथा के अन्तिम दिन राम राज्याभिषेक की जीवन्त झाँकी निकली गई। राज्य के मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने भगवान राम का राजतिलक किया तथा आरती उतारी। कथा मे सहयोग करनेवालों को अध्यक्ष चन्दन जयसवाल ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

उपस्थित
दवारिकानाथ पाण्डेय,अमित पाठक,सुखबीर पाल, अवधेश कुशवाहा,दिलीप कुमार पाठक, राजन पाण्डेय,मनीष कमलापुरी,नीतेश कुमार गुड्डू, अरुण दुबे, अमरेन्द्र मिश्रा, बृजेश, धनंजय पाण्डेय,संजय अग्रहरि,दिनानाथ बघेल,,जयशंकर राम,बिकास ठाकुर,शान्तनु केशरी, श्रीपति पाण्डेय,रंजित कुमार,कृष केशरी,राजा बघेल,पीयूष कुमार,गौतम शर्मा,शुभम कुमार,गोलु बघेल,सुदर्शन मेहता,अनिकेत गुप्ता,दुर्गा रंजन,हिमांशु रामू,आदि

प्रपन्नाचार्य जी कथा विराम की घोषणा करते हुए कहा कि रामकथा कभी समाप्त नहीं होती यह विराम लेती है

 203 total views,  2 views today

About Post Author

navneetkumar27828

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *