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EWS आरक्षण कोटा पर सुप्रीम कोर्ट का मुहर ,इसका दूरगामी प्रभाव होगा भयावह :- सीके मेहता प्रमुख प्रतिनिधि - Garhwa Drishti

EWS आरक्षण कोटा पर सुप्रीम कोर्ट का मुहर ,इसका दूरगामी प्रभाव होगा भयावह :- सीके मेहता प्रमुख प्रतिनिधि

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विशुनपुरा संवादाता सुनील कुमार की रिपोर्ट


विदित हो की हाल में ही सुप्रीम कोर्ट के द्वारा ईडब्ल्यूएस आरक्षण कोटा को हरी झंडी दे दी गई है ।इसके हरी झंडी मिलते ही अनेकों सवाल खड़े होने के संभावना भी बढ़ गए है और निश्चित रूप से इससे राजनैतिक अस्थिरता का माहौल भी पैदा होगा।इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है आरक्षण कोटा का जो अधिकतम 50% निश्चित था खत्म हो जाना मतलब अब इससे ज्यादा भी आरक्षण दिया जा सकता है ।इस निर्णय के बाद बहुत से राज्य केंद्र सरकार से अपने राज्यो में आरक्षण का दायरा बढ़ाने का दबाव देना शुरू कर देंगे और केंद्र सरकार को भी राजनैतिक मजबूरी हो जायेगी की उनकी मांग को सुने अगर ऐसा नहीं हुआ तो देश में अशांति फैलेगी । उदाहरण के तौर पर बिहार में सतारूढ़ दल द्वारा जातीय जनगणना की मांग की जाती रही है संभव है इसके बाद जातीय संख्या के आधार पर आरक्षण की मांग भी की जाने लगे । झारखंड सरकार के द्वारा भी अपने स्तर से आरक्षण के कोटे को 77%तक बढ़ा दिया गया है ।और इसपर केंद्र सरकार क्या निर्णय करेगी समय बताएगा पर यह तय है की यदि सकारात्मक पहल नहीं करती है तो ओबीसी विरोधी समझी जायेगी इसी तरह दक्षिण भारत में भी ईडब्ल्यूएस के आरक्षण का विरोध होना शुरू हो गया है।ईडब्ल्यूएस आरक्षण घोषित होने के बाद अब कोई जनरल कैटेगरी नही रह जायेगा अब सभी कैटेगरी लाभार्थी हो जायेंगे। सबसे रोचक बात यह है की ईडब्ल्यूएस के श्रेणी में कभी भी एसटी एससी और ओबीसी के लोग नही आ पाएंगे और न इसका लाभ ले पाएंगे क्योंकि उनकी कैटेगरी को पहले से ही आरक्षण प्राप्त है । जिस तरह से ईडब्ल्यूएस के माध्यम से जनरल कैटेगरी वर्ग को न्याय देने की बात हो रही है उसी तरह से ओबीसी के लिए भी आरक्षण का दायरा 27%बढ़ा कर 50% किया जाना चाहिए क्योंकि ओबीसी वर्ग जनसंख्या के लिहाज से अन्य कैटेगरी से आधी से अधिक है तो आरक्षण 27%क्यों ? और सच्चाई भी है की ओबीसी के अंतर्गत ज्यादातर लोग गरीबी रेखा से नीचे की जीवन जी रहे है और ओबीसी में बहुसंख्यक लोग अपनी आधारभूत आवश्यकता के लिए भी जूझ रहे है। इसलिए अब ओबीसी कैटेगरी के साथ न्याय होना चाहिए कुछ राज्यो में तो ओबीसी का आरक्षण 27 %भी नही है झारखंड में ही यह 14%है हालांकि वर्तमान सरकार व माननीय मुख्यमंत्री जी के विशेष पहल से यह14% से बढ़ाकर 27%किया गया है जिसे केंद्र सरकार और राष्ट्रपति की स्वीकृति मिलना बाकी है ।

ये मेरा निजी विचार है( प्रमुख प्रतिनिधि विशुनपुरा)

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