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प्रयाग राज की महिमा बताते हुए प्रपन्नाचार्य जी ने कहा कि जहां गंगा, यमुना और सरस्वती तीनों का संगम हो वह ब्रह्मलोक और विष्णुलोक के बराबर का स्थान हो जाता है। तीर्थराज प्रयाग में यज्ञ करना या यज्ञ आदि क्रियाओं में सम्मिलित होने से मनुष्य के सारे पाप, पुण्य में परिवर्तित हो जाते हैं,तीर्थराज प्रयाग की अद्भुत महिमा है।
कथा के अन्त मे चन्दन जायसवाल ने उपस्थित सभी श्रद्धालु श्रोताओं का आभार व्यक्त किया और उनसे समय पर आकर कथा का अधिक से अधिक लाभ उठाने को कहा।आज कथा पंडाल मे काफी भीड़ थी जिसमें महिला श्रोताओं की संख्या अधिक थी। कथा आरती के बाद इमरती का प्रसाद वितरण हुआ।
उपस्थित दिलीप कुमार पाठक,गौरी शंकर,मनीष कमलापुरी,नीतेश कुमार गुड्डू,संजय अग्रहरि,दिनानाथ बघेल, द्वारिकानाथ पाण्डेय,जयशंकर राम,बिकास ठाकर,शान्तनु केशरी, श्रीपति पाण्डेय,रंजित कुमार,कृष केशरी, अमित पाठक,राजा बघेल,पीयूष कुमार,गौतम शर्मा,शुभम कुमार,गोलु बघेल,सुदर्शन मेहता,दुर्गा रंजन,अनिकेत गुप्ता,रोहीत कुमार,ब्रजेश कुमार,पवन कुमार,गुडु हरी आदि।




