देवानंद कुमार शर्मा की रिपोर्ट
धनबाद। धनबाद के एक परिवार के लिए यह कुंभ मेला चमत्कारिक साबित हुआ! उन्होंने अपने उस परिजन को ढूंढ निकालने का दावा किया है, जो 27 साल पहले अचानक लापता हो गया था। मगर कहानी में एक बड़ा ट्विस्ट है—वह परिजन अब ‘अघोरी साधु’ बन चुका है और खुद को अपने पुराने अस्तित्व से पूरी तरह अलग बता रहा है!
गुमशुदगी से अघोरी बनने तक की रहस्यमयी दास्तान
गंगासागर यादव, जो अब 65 साल के हैं और ‘बाबा राजकुमार’ के नाम से जाने जाते हैं, 1998 में पटना यात्रा के दौरान अचानक गायब हो गए थे। उनकी पत्नी धनवा देवी ने अपने दोनों बेटों, कमलेश और विमलेश, को अकेले ही पाल-पोसकर बड़ा किया। परिवार ने उम्मीद छोड़ दी थी कि वह कभी वापस आएंगे।
मगर किस्मत का खेल देखिए प्रयागराज कुंभ मेले में एक रिश्तेदार ने साधुओं के बीच गंगासागर जैसे दिखने वाले एक बाबा की तस्वीर खींची और परिवार को भेज दी। तस्वीर मिलते ही परिवार चौंक उठा! वे बिना समय गंवाए कुंभ मेले की ओर रवाना हो गए।
पहचान को लेकर बड़ा विवाद – क्या सच में गंगासागर ही हैं बाबा राजकुमार?
जब परिवार ने कुंभ मेले में बाबा राजकुमार से मुलाकात की, तो मामला और भी उलझ गया। उन्होंने अपनी पुरानी पहचान मानने से साफ इनकार कर दिया! बाबा राजकुमार का दावा है कि वह वाराणसी के साधु हैं और उनका इस परिवार से कोई लेना-देना नहीं है।
लेकिन परिवार के पास अपने दावे को साबित करने की ठोस वजहें हैं। बाबा राजकुमार के माथे और घुटने पर वही निशान पाए गए, जो गंगासागर यादव के शरीर पर थे। शक और यकीन के बीच लटके परिवार ने अब एक बड़ा कदम उठाने का फैसला किया है।
सस्पेंस बरकरार—डीएनए टेस्ट से खुलेगा राज?
गंगासागर के छोटे भाई मुरली यादव ने कहा,
“हम कुंभ मेले के अंत तक इंतजार करेंगे। अगर बाबा डीएनए टेस्ट के लिए राजी हो जाते हैं और नतीजा पॉजिटिव आता है, तो यह साफ हो जाएगा कि वह हमारे अपने हैं। अगर नहीं, तो हम उनसे माफी मांग लेंगे।”
इस घटनाक्रम के बीच, परिवार के कुछ सदस्य घर लौट चुके हैं, जबकि कुछ अब भी वहीं डटे हुए हैं। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या बाबा राजकुमार का सच सामने आएगा या यह रहस्य हमेशा के लिए अनसुलझा ही रह जाएगा!
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