0 0
Read Time:1 Minute, 44 Second

*“मेहनतकश मजदूर की तस्वीर”*

मजदूर की तस्वीर होती मेहनत और हौसलों की उड़ान से भरी।

वैसे तो हर व्यक्ति की आवश्यकताओं की है अपनी-अपनी कटघरी॥

रोटी की जुगाड़ में श्रमरत हर व्यक्ति है मजदूर।

आवश्यकताओं की पूर्ति में कभी-कभी हो जाता है मजबूर॥

जीवन को बनाएँ आसान डाले मेहनत का रंग।

मजदूर जीवन को उन्नत बनाता मेहनत के संग॥

वेतन की असमानता से न करें मजदूर को परिभाषित।

मेहनत, हिम्मत और पसीना बहाकर तो भाग्य भी होता पल्लवित॥

निर्माण की परिपाटी में जो है कार्यरत।

सड़क, इमारत, पुल, बाँध की जो करता है मरम्मत॥

जिसने लगाई चारों ओर विकास की झड़ी।

कार्य की अनवरतता में जो नहीं देखता घड़ी॥

झुग्गी झोपड़ी में लगाकर समस्याओं का ताला।

मेहनत का पसीना बहाकर करता विकास मतवाला॥

अपने खून-पसीने से जो रखता मेहनत की नींव।

बुलंद हौसलों से गगन चुम्बी इमारतों को बनाता सजीव॥

सुविधाओं से वंचित रहना भी जो करता सहर्ष स्वीकार।

विकास का सुनहरा स्वप्न जो करता है साकार॥

सृजन की ओर जो बढ़ा रहा है निरंतर कदम।

जो भरना चाहता है केवल मेहनत और हौसलों का दम॥

जिन मेहनतकश मजदूरों के श्रम ने बनाया बेहतर चमन॥

डॉ. रीना कहती, करते हम उनके अथक प्रयासों को नमन।

*डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)*

About Post Author

Admin Garhwa Drishti

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *