विशुनपुरा से सुनिल कुमार की रिपोर्ट
आर आर पी डी हाई स्कूल बिशुनपुरा के शिक्षकों ने झारखंड सरकार के वित्तरहित शिक्षा नीति का पुतला दहन कर विरोध जताया।जानकारी देते हुए प्रधानाध्यापक नागेंद पांडेय ने बताया कि एकीकृत बिहार सरकार में 2 अक्टूबर 1985 को वित्तरहित नीति लागू की गई थी। जिसमे स्कूलों के समायोजन में आने वाले वित्त के अभाव में तत्कालीन सरकार द्वारा यह नीति लागू की गई थी। जो आज तक लागू है।अलग राज्य गठन होने के बाद शिक्षकों एवं कर्मचारियों में आशा जगी थी कि सरकार वित्तरहित संस्थानों का समायोजन करेगी ।लेकिन 40 वर्ष गुजर जाने के बाद भी यह नीति लागू है। जबकि मुख्यमंत्री के द्वारा विधानसभा में समान काम के बदले समान वेतन देने एवं वित्तरहित शिक्षा नीति समाप्त कर शिक्षक कर्मचारियों को प्रशासनिक आयोग का गठन कर वेतनमान देने की घोषणा की थी। जिसके आलोक में वित्तरहित शिक्षा नीति को समाप्त करने हेतु स्कूली शिक्षा एवं साक्षारता विभाग द्वारा कार्मिक एवं प्रशासनिक विभाग को पत्र निर्गत किया था। परंतु तीन वर्ष बीत जाने के बाद भी कार्मिक प्रसाशनिक विभाग द्वारा कोई करवाई नही किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है।जिसका वित्तरहित शिक्षा संयुक्त संघर्ष मोर्चा विरोध करती है। एवं सरकार से वित्तरहित नीति समाप्त कर स्कूलों का समायोजन या घाटानुदान देने की मांग की है।मौके पर चंद्रशेखर यादव,अविनाश मिश्रा, रामरती मेहता,सुरेंद्र ठाकुर,पंकज कुमार सोनी,विश्वनाथ प्रताप सिंह, उमेश गुप्ता,भगवान यादव,मनीषा कुमारी,सुचिता कुमारी,वीरेंद्र चन्द्रवँशी,कृष्णा चंद्रवंशी सहित अन्य लोग मौजूद थे।
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