विवेक मिश्रा की रिर्पोट
कांडी : सतबहिनी झरना तीर्थ में आयोजित 24वें मानस महायज्ञ के सातवें दिन प्रतिकूल मौसम के ऊपर श्रद्धालुओं की श्रद्धा भारी पड़ी। रात से हो रही बारिश के बीच ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु महिला पुरुषों ने सतबहिनी पहुंचकर यज्ञ मंडप की परिक्रमा शुरू कर दी। जबकि मौसम को देखकर लग रहा था कि ऐसे में कोई नहीं आ पाएगा। इधर वृंदावन से आई संगीत मंडली ने अपने मंडप में मानस पाठ शुरू कर दिया। देखते देखते सभी मंदिरों में पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालुओं की कतार लग गई। इधर जनता टेंट हाउस दरिहट के स्टाफ ने प्रवचन कार्यक्रम को महावीर मंदिर प्रांगण में शिफ्ट कर दिया। 7वें दिन के प्रवचन सत्र में लीक से हटकर श्रीराम कथा को सामाजिक व राष्ट्रीय संदर्भ देकर प्रस्तुत करने की कला में सिद्धहस्त देवरिया से पधारे पं. अखिलेश मणि शांडिल्य ने कहा कि पूरी मेधा, पूरी प्रज्ञा और पूरे व्यक्तित्व के साथ कथा सुनें। जिंदगी सबको मिलती है पर सबको जीना नहीं आता। कैसे जिएं से कीमती है कि कैसे मरें। भगत सिंह व सुभाष 23 साल में ऐसे मरे कि कोई मरे ही नहीं। सांसों के चलने का नाम जिंदगी नहीं। जिंदा करने की कला का नाम है सत्संग। कहा कि जो समाज अपनी ही चिंता करना छोड़ देता है वह मरा हुआ समाज है। उसे जगाता है विचारक। मरा हुआ नागरिक मुर्दा समाज पैदा करता है। राम ने अपने व्यक्तित्व के द्वारा दुनियां को जगाने का काम किया। अपने जीवन को तकलीफों में डालकर समाज को रौशनी देता है वही महा नायक है। विंध्याचल से पधारे आचार्य धर्मराज शास्त्री ने कहा कि परमात्मा पर, उनके चरणों के प्रति व कथा के प्रति विश्वास दृढ़ हो जाए तो कभी भी, किसी भी परिस्थिति में प्रभू का नाम बचा ले जाएगा। सूर्पनखा प्रसंग में कहा कि विदेश में विधवा होकर नारी फिर कुंआरी हो जाती है पर भारत में नहीं। वृंदावन की देवी शिखा चतुर्वेदी ने श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा प्रसंग में कहा कि संपत्ति आपकी होती तो साथ जाती। कहा कि आज टीआरपी बढ़ाने के लिए चीरहरण आदि को बेढब तरीके से दिखाया जा रहा है। आचार्य सौरभ भारद्वाज ने कहा कि घर में तुलसी का पौधा लगा हो तो वहीं राम, लक्ष्मण व हनुमान आएंगे। सुबह सुबह जो महिला पंचकन्या का नाम ले लेगी उसका सुहाग अविचल हो जाएगा। मुन्ना पाठक ने भी श्रीराम कथा कही।
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