विवेक मिश्रा की रिर्पोट
कई हफ्तों से बिजली गायब रहने के कारण गांव के लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। दिन-रात लोग कड़ाके की गर्मी में झुलस रहे हैं। बावजूद इसके गांव में रहने वाली मेहनतकश आबादी की किसी को चिंता नहीं है।
कांडी उत्तरी क्षेत्र संख्या चार की जिला परिषद सदस्य सुषमा कुमारी एवं उनके प्रतिनिधि दिनेश कुमार ने इसके लिए क्षेत्र के सांसद एवं विधायक को जिम्मेदार बताया है। उन्होंने बिजली विभागीय एवं प्रशासनिक पदाधिकारियों भी इस असह्य पीड़ा के लिए समान रूप से भागीदार बताया है। वर्णित लोगों को पूरे दिन रात कभी भी एसी की ठंडी हवा से फुर्सत नहीं है। उनके डीजी लगे आवास से लेकर उनके कार्यालय एवं उनकी गाड़ी तक में एसी की व्यवस्था है। इसलिए उन्हें गरीब किसान, छात्र, मजदूर, नौजवान एवं मरीज की पीड़ा समझ में नहीं आती।
पत्रकारों से बात करते हुए दिनेश कुमार ने कहा कि कई दशकों पूर्व लगाए गए टावर ज्यों के त्यों खड़े हैं। लेकिन साल दो बरस पहले लगाए गए टावर हवा के झोंके से टुकड़े-टुकड़े होकर उड़ जाते हैं। जिसकी पीड़ा बार-बार ग्राम वासियों को भुगतनी पड़ती है। यह लाख टके का सवाल इन बड़े पदधारियों को ना तो दिखाई पड़ता और ना ही सुनाई पड़ता है। विभिन्न समाचार माध्यमों में आ रही खबरें भी या तो वे पढ़ते नहीं या पढ़ने के बाद मौन व्रत धारण करने का उन्होंने संकल्प ले लिया है। आखिर गांवों की पीड़ा कौन समझेगा और कौन दूर करेगा। सबसे दुख की बात है कि लोकसभाचुनाव का बिगुल बज जाने के बाद नेता एवं उनके सैकड़ो हजारों कार्यकर्ता बड़ी-बड़ी गाड़ियों में भरकर लगातार घूम रहे हैं। लेकिन उन्हें भी अपने नेता से नहीं सुनने की संक्रामक बीमारी लग गई है।
जबकि चुनावी चकल्लस के बाद उन्हें भी इन्हीं तपते गांव के झुलसते घरों में वापस आना है। चैत महीने में ही इस बार अगात पड़ रही भीषण गर्मी में झुलसते हुए ग्रामीणों का पारा भी चढ़ रहा है। जिला परिषद प्रतिनिधि ने कहा कि चुनावी आचार संहिता के दौरान ही गर्मी के मारे ग्रामीणों को सड़क पर उतरने की स्थिति बन गई है। यदि ऐसा होता है तो इसकी सारी जिम्मेवारी स्थानीय सांसद, विधायक के साथ पूरे प्रशासनिक तंत्र पर होगी।