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*”कॉफी विद एसडीएम” में प्रज्ञा केंद्र संचालकों से संवाद*

*प्रशासन और नागरिकों के बीच महत्वपूर्ण कड़ी हैं प्रज्ञा केंद्र : एसडीएम*

*राइट टू सर्विस एक्ट को अधिक प्रभावी बनाने में प्रज्ञा केंद्र बनें मददगार : एसडीएम*

*बेवजह विलंब या बिना कारण आवेदन रिजेक्ट करने वाले अधिकारियों पर विभागीय कार्यवाही व अर्थदंड का प्रावधान*

गढ़वा : अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार ने आज “कॉफी विद एसडीएम” कार्यक्रम के तहत प्रज्ञा केंद्र संचालकों एवं सीएससी ऑपरेटरों के साथ संवाद किया।
बैठक के दौरान संचालकों ने अपने दैनिक कार्यों में आने वाली व्यावहारिक समस्याओं और सरकारी कर्मियों के स्तर से आने वाली समन्वयात्मक समस्याओं को एसडीएम के समक्ष रखा।
एसडीएम ने सभी की बात ध्यानपूर्वक सुनी और ई-गवर्नेंस सेवाओं को और अधिक पारदर्शी व प्रभावी बनाने के लिए कई सुझाव भी दिए। उन्होंने कहा कि डिजिटल सेवाओं के माध्यम से आमजन तक सुविधाएं सहज रूप से पहुँचाना प्रशासन की प्राथमिकता है।

इस अवसर पर दोनों डिस्ट्रिक्ट सीएससी मैनेजर मनीष कुमार व कौशल किशोर के अलावा विभिन्न प्रखंडों से आए लगभग तीन दर्जन से अधिक प्रज्ञा केंद्र संचालक मौजूद रहे।

*श्रमाधान योजना में गड़बड़ी से प्रज्ञा केंद्र संचालक नाहक हो रहे हैं बदनाम*
नवादा मोड़ पर स्थित राज किरण प्रज्ञा केंद्र के संचालक गौतम कश्यप एवं बीस से अधिक अन्य प्रज्ञा केंद्र संचालकों ने एसडीएम का ध्यान आकृष्ट कराया कि मजदूरों के कल्याण के लिए चल रही श्रमाधान योजना के क्रियान्वयन में काफी गड़बड़ी है, जिसके चलते प्रज्ञा केंद्र संचालकों की झूठी बदनामी हो रही है, जबकि उनका इसमें कोई योगदान नहीं है। इन लोगों ने आरोप लगाया कि कुछ बिचौलिए प्रकृति के लोग आवेदन करने के नाम पर मजदूरों से 300 से लेकर ₹500 तक ले रहे हैं, इतना ही नहीं उनके खाते में डीबीटी के माध्यम से आने वाले ₹5000 में से भी कुछ बिचौलिए आधी राशि वापस मांग ले रहे हैं। आम मजदूरों को लगता है कि वे बिचौलिए लोग भी प्रज्ञा केंद्र संचालक हैं जबकि उन लोगों का प्रज्ञा केंद्र से कोई लेना-देना नहीं है। ऐसे में उन लोगों की जांच कर कार्रवाई करने का अनुरोध किया। एसडीएम ने मामले को अति गंभीर मानते हुए मौके पर ही श्रम अधीक्षक को फोन कर आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया।

*फर्जी प्रज्ञा केंद्र संचालकों पर कार्रवाई की मांग*
बैठक में पहुंचे प्रज्ञा केंद्र संचालकों ने एसडीएम को बताया कि कई लोग बिना आधिकारिक आईडी लिए ही अपने यहां प्रज्ञा केंद्र का बोर्ड लगाकर बैठ गए हैं, ऐसे ज्यादातर लोग गलत कार्यों में संलिप्त हैं। जब ये लोग किसी से धोखाधड़ी करते हैं तो बदनामी प्रज्ञाकेंद्र संचालकों की होती है। इसलिए ऐसे लोगों पर उचित कार्रवाई की जाए ‌। इस पर एसडीएम ने आवश्यक कार्रवाई का भरोसा दिलाया।

*मुखिया लोग राशि का कर रहे हैं दुरुपयोग*
पंचायत भवन में कार्यरत कुछ प्रज्ञा केंद्र संचालकों (वीएलई) ने बताया कि हर महीने रखरखाव के नाम पर प्रत्येक मुखिया को ₹15000 मिलते हैं, किंतु उस राशि में से  मुखिया द्वारा कुछ भी खर्च नहीं किया जा रहा है, यहां तक कि साफ सफाई भी उन्हें खुद अपने हाथ से करनी पड़ रही है। महुलिया पंचायत के वीएलई ने तो यहां तक आरोप लगाया कि उनके प्रज्ञा केंद्र में गेट तक नहीं है किंतु हर महीने राशि आने के बावजूद मुखिया गेट तक नहीं लगवा रहे हैं। इस पर एसडीएम ने पंचायती राज  पदाधिकारी को मामला अग्रसारित कर कार्रवाई का भरोसा दिलाया।

*बैंक अकाउंट हो जा रहे हैं होल्ड*
गढ़वा मेन रोड के सीएससी संचालक प्रतीक राज सोनी ने बताया कि नागरिकों द्वारा उनके यहां ऑनलाइन फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन करने के कारण उनके बैंक अकाउंट को संदिग्ध मानते हुये सीज कर दिया गया है। कुछ ऐसी ही समस्या अन्य संचालकों ने रखीं, जिस पर एसडीएम ने कहा कि उन्हें इस संबंध में बैंकिंग नियमों की गहरी जानकारी नहीं है किंतु एलडीएम से इस संबंध में समन्वयात्मक सहयोग के लिए कहेंगे।

*कई कार्यालयों के कंप्यूटर आपरेटर्स की भूमिका पर लगाए आरोप*
प्रज्ञा केंद्र संचालकों ने कहा कि वे नागरिकों के आवेदन अपलोड कर करते हैं किंतु उनकी प्रोसेसिंग लंबे समय तक संबंधित कार्यालय में काम करने वाले ऑपरेटर की मनमानी के चलते लटकी रहती है। जबकि पब्लिक बार-बार उनके यहां पूछने आती है। जब नागरिक स्वयं उन कंप्यूटर ऑपरेटर के पास जाकर मिलते हैं तब जाकर उनका काम होता है, ऐसे में उन्होंने कंप्यूटर ऑपरेटर पर मनमानी और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। साथ ही मांग की कि लंबे समय से एक ही कार्यालय में जमे कंप्यूटर ऑपरेटर को स्थानांतरित किया जाए। प्रज्ञा केंद्र संचालकों ने सबसे ज्यादा शिकायतें बिजली विभाग, श्रम विभाग और प्रखंड-अंचल को लेकर कीं। इस पर एसडीएम में कहा कि वे मामले को वरीय पदाधिकारियों के संज्ञान में लायेंगे।

*राइट टू सर्विस एक्ट को दें बढ़ावा : एसडीएम*
संजय कुमार ने सभी सीएससी/प्रज्ञा केंद्र संचालकों को झारखंड राइट टू सर्विस एक्ट 2011 के बारे में विस्तार से बताया। साथ ही बताया कि वर्तमान में इस अधिनियम के दायरे में विभिन्न 363 नागरिक सेवाओं को लाया जा चुका है। जिसमें लगभग वे सभी सेवाएं आती हैं जो प्रज्ञा केंद्रों से संबंधित हैं। इसलिए सभी लोग इस अधिनियम और संबंधित नियमावली को ध्यान से पढ़ लें, साथ ही उनके यहां जो नागरिक लेट लतीफी के शिकार होकर आते हैं, उन नागरिकों को इस एक्ट के तहत दोषी अधिकारियों के विरुद्ध अपील करने के लिए प्रोत्साहित करें।

*बिना कारण आवेदन रिजेक्ट करने वाले अधिकारियों पर होगी कार्रवाई : एसडीएम*
कई प्रज्ञा केंद्र संचालकों ने बताया कि उनके यहां से जो नागरिक सभी डाक्यूमेंट्स के साथ विभिन्न सेवाओं के लिए ऑनलाइन आवेदन करते हैं उसमें से कुछ कार्यालय के कर्मी/ पदाधिकारी पात्र लाभुकों के भी आवेदन बिना तर्क/ कारण रिजेक्ट कर देते हैं, जिससे पब्लिक और प्रज्ञा केंद्र संचालक दोनों परेशान होते हैं। डंडई प्रखंड के रारो के प्रज्ञा केंद्र संचालक दशरथ कुमार सिंह बताते हैं कि उनके यहां से आवेदन करने वाले कई जाति, आवासीय प्रमाण पत्र के आवेदनों को “ओके”  लिखकर रिजेक्ट कर दिया जा रहा है, एक तरफ राजस्व कर्मचारी “ओके”  लिखते हैं, दूसरी तरफ रिजेक्ट कर देते हैं इससे ऊहापोह की स्थिति हो जाती है। इसी प्रकार कई अन्य संचालकों ने भी एसडीएम के समक्ष शिकायतें की। एसडीएम ने कहा कि ऐसे मामलों के स्क्रीनशॉट उन्हें उपलब्ध करवायें, इस प्रकार के अधिकारी/ कर्मचारियों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा तो करेंगे ही झारखंड राइट टू सर्विस एक्ट 2011 के तहत अर्थ दंड भी लगवाएंगे।

*पंचायत के वीएलई को सशक्त करने की मांग*
मौजूद सदस्यों ने अपना दर्द बयां करते हुए एसडीएम से कहा कि सिद्धांतत: पंचायत स्तर पर वीएलई को काम करना है, किंतु व्यवहार में ज्यादातर काम अभी भी केंद्रीकृत होकर प्रखंड स्तर से ही किये जा रहे हैं। पंचायत में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी तो है ही, पंचायत स्तरीय अधिकारियों का भी सहयोग नहीं मिल पा रहा है। भारत नेट का नेटवर्क भी ढंग से काम नहीं कर पा रहा है, ऐसे में वे लोग निराश हैं। पर यदि उनको बेहतर माहौल और सुविधा उपलब्ध कराई जाए तो वे ई-गवर्नेंस के माध्यम से सरकारी योजनाओं को धरातल पर उतारने में बेहतर भूमिका निभा सकते हैं।

*रेट चार्ट के अनुसार ही सुविधा शुल्क लें*
एसडीएम ने सभी संचालकों को आश्वस्त किया कि उनके द्वारा उठाई गई बातों को वे स्वयं या अपने वरीय पदाधिकारियों को प्रेषित कर समाधान का रास्ता ढूंढेंगे। साथ ही सभी से अपील भी कि वे अपने-अपने केंद्रों पर सभी सेवाओं से संबंधित सुविधा शुल्क का रेट कार्ड प्रदर्शित करें और रेट कार्ड के अनुरूप ही नागरिकों से सुविधा शुल्क वसूल करें। सभी संचालकों ने एसडीएम को आश्वसत किया कि इस संबंध में उनकी ओर से कभी शिकायतें नहीं मिलेंगीं।
अंत में अनुमंडल पदाधिकारी ने सभी मौजूद सदस्यों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि वे लोग प्रशासन और नागरिकों के बीच ई-गवर्नेंस की महत्वपूर्ण कड़ी हैं, इसलिए कल्याणकारी प्रशासन के लक्ष्यों को पूरा करने में उन सभी का सक्रिय सहयोग अपेक्षित है।

*अन्यान्य*
डंडई प्रखंड के पचौर निवासी राहुल गुप्ता, कंचनपुर के श्री राम ओझा, ओबरा गढ़वा के प्रदीप पाल, मेराल चामा के पप्पू यादव, जरही के शंकर चौधरी, मोहित चौधरी, नगर परिषद क्षेत्र के अरुण कुमार, विकास सोनी, अचला के कमलेश चौबे, छतरपुर के राकेश कुमार, कांडी के सुबोध कुमार वर्मा, करुआ कला के आनंद शर्मा आदि कई संचालकों ने विभिन्न विषयों को एसडीएम के समक्ष रखा, जिन पर आवश्यक कार्रवाई करने हेतु एसडीएम में भरोसा दिया।

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Chandesh Raj

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