*झामुमो ने भगवान बिरसा मुंडा के पुण्यतिथि पर पुष्प अर्पित किया*
झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेताओं ने जिला कार्यालय में भगवान बिरसा मुंडा के पुण्यतिथि पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया। जिला प्रवक्ता धीरज दुबे ने कहा कि बिरसा मुंडा महान किदवंती पुरुषों में एक महापुरुष हैं। जिनकी कथा जितनी कही जाती है कम और कमतर पड़ते जाता हैं। बिरसा मुंडा की जयंती मनाने से अधिक महत्व पुण्यतिथि की होती है। बिरसा मुंडा की वैश्विक पहचान नए जन्म के रूप में होता है। कहा जाता है महापुरुषों और आंदोलनकारियों, हुल और उलगुलानकर्ताओं की पहचान संघर्ष के बाद उनके शहादत से होती है। शहादत के बाद वैश्विक पहचान बनती है। लोग उनके वीर गाथाओं को, उनके संघर्ष को, उनके उलगुलान को, उनके हूल को याद करते हैं।
1895 में बिरसा ने अंग्रेजों द्वारा लागू की गयी जमींदारी प्रथा और राजस्व-व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई छेड़ दी. ब्रिटिश सरकार और उनके द्वारा नियुक्त जमींदार आदिवासियों को लगातार जल-जंगल-जमीन और अन्य प्राकृतिक संसाधनों से बेदखल कर रहे थे. उन्होंने सूदखोर महाजनों के खिलाफ भी जंग का एलान किया. ये महाजन कर्ज के बदले उनकी जमीन पर कब्जा कर लेते थे. यह सिर्फ विद्रोह नहीं था, बल्कि यह आदिवासी अस्मिता, स्वायत्तता और संस्कृति को बचाने के लिए संग्राम था. भगवान बिरसा की 9 जून, 1900 को जेल में संदेहास्पद अवस्था में मौत हो गयी. अंग्रेजी हुकूमत ने बताया कि हैजा के चलते उनकी मौत हुई है. महज 25 साल की उम्र में मातृ-भूमि के लिए शहीद होकर उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई को उद्वेलित किया, जिसके चलते देश आजाद हुआ. भगवान बिरसा के संघर्ष और बलिदान की वजह से उन्हें आज हम ‘धरती आबा’ के नाम से पूजते हैं.
मौके पर, जिला सचिव मनोज ठाकुर, सरकारी अधिवक्ता परेश तिवारी, केंद्रीय सदस्य शरीफ अंसारी, महिला मोर्चा अध्यक्ष अंजली गुप्ता, विधायक प्रतिनिधि अशर्फी राम, सुनील किसपोट्टा, मेराल प्रखंड अध्यक्ष दशरथ प्रसाद, नुरुल होदा, झामुमो नेत्री राजबाला देवी, सुरेंद्र यादव, धनंजय पासवान, सनी शर्मा, रवि रंजन आदि उपस्थित थे।
272 total views, 1 views today