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जीवन में रंगों की कीमत

जीवन में रंगों की कीमत

जीवन की सुंदरता विभिन्न रंगों के सम्मिश्रण से सुशोभित होती है। रंग हमें अलंकृत करते है। रंगों के बिना जीवन में अधूरेपन का बोध होता है। रंग हमें उत्साह से पूर्ण बनाते है, तो इस उमंगों भरी होली में खुशियों के रंग से जिंदगी को सुखद बनाएँ। यदि हमारे जीवन में प्रसन्नता, प्रेम और भक्ति का रंग चढ़ जाए तो जीवन स्वतः ही सार्थक हो जाएगा। इस होली के त्यौहार पर कृत संकल्पित होकर मन को पुलकित बनाएँ। विभिन्न रंगों के समावेश से उमंगोंभरी जिंदगी के पल को जीते जाए। कोरोना काल में हमनें जीवन के विभिन्न रंग देखें पर ईश्वर की कृपा ने हमें फिर नई उमंगों के साथ प्रफुल्लित रहने का अवसर दिया है। जीवन की सफलता में सुख और दु:ख दोनों का ही सम्मिश्रण होता है, इसलिए इन त्यौहारों के माध्यम से हम फिर ऊर्जावान बन सकते है। जीवन की परेशानियों में कभी भी अपनी खुशियों को लुप्त मत होने दो। मन का हुआ तो अच्छा और न हुआ तब भी अच्छा। जिंदगी को खुलकर जीना चाहिए। परिस्थितियाँ कभी-कभी तुम्हारे अनुरूप नहीं होगी पर तुम्हें ही उन परिस्थितियों के अनुरूप सामंजस्य बैठाना होगा। जीवन की सुंदरता और उत्कृष्टता हर्ष-विषाद के सम रंगों से ही सुशोभित होती है।

होली का त्यौहार हमें भरपूर उल्लास, उमंगों और सतरंगी एहसासों से एक नई ऊर्जा के साथ जीवन जीने की प्रेरणा देता है। कितना अद्भुत त्यौहार है होली का जो हर विषमता से दूर समता की तरफ ले जाता है और रंगों के महत्व को उजागर करता है। स्वयं मधुसूदन भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीला में इसी प्रेम के रंग में राधा और समस्त गोपियों को रंग लिया। श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं से यह संदेश दिया कि प्रेम का रंग भी जीवन में सर्वोपरि है। प्रेम का मधुर गुलाल वाला रंग एक नया उत्साह, आभा और चमक देता है। खुशियों का यह महापर्व ईर्ष्या, क्रोध, दंभ, दर्प और बुराई को त्याग करने का अवसर भी है। यह त्यौहार हमें भक्ति के रंग में रंगने का भी अवसर देता है। जब हम ईश्वर के प्रति अगाध श्रद्धा रखते है तो फिर सुख-दु:ख का रंग कोई माइने नहीं रखता। हमें केवल स्नेह का रंग बरसाना है। रंगों में सराबोर होकर हम ज़िंदगी की छोटी-छोटी खुशियों को भी एक यादगार स्मृति बना सकते है।

यह होली उमंगों के रंग वाली होली होनी चाहिए। फागुन के उमंग के रंग की सुंदरता तो अनुभव करने पर ही जानी जा सकती है। ईश लीला में भी शायद इसीलिए स्वयं प्रभु ने त्यौहारों के माध्यम से जीवन को निरंतर ऊर्जावान बनाने की प्रेरणा दी। यदि जीवन में किसी को साँवरिया गिरधारी का पावन भक्ति रंग लग जाए तो उसके जन्म-जन्मांतर देदीप्यमान हो सकते है। ईश्वरीय तत्व में रंग जाना ही जीवन की सार्थकता है।

*डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)*

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