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खरौंधी प्रखंड से चंदेश कुमार पटेल की रिपोर्ट

खरौंधी (गढ़वा)। गढ़वा जिले के खरौंधी प्रखंड के झुरीबांध गांव में एक परिवार ऐसा है, जिसकी कहानी सुनकर पत्थर दिल इंसान की भी आंखें भर आएंगी।

झुरीबांध गांव के रहने वाले जयप्रकाश चौधरी, पिता रामेश्वर चौधरी, पिछले दो साल से कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी से जूझ रहे हैं।

बीमारी ने उनकी ज़िंदगी ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार को तोड़कर रख दिया है। इलाज के लिए इस गरीब परिवार ने अपनी जमीन तक बेच दी, लेकिन फिर भी बीमारी पूरी तरह ठीक नहीं हो सकी।

आयुष्मान कार्ड से भी इलाज कराया गया, लेकिन कैंसर जैसी बीमारी इतनी आसानी से हार मानने वाली कहां होती है।
आज हालत यह है की जयप्रकाश अपनी झोपड़ी में दर्द से तड़पते हैं और उनका परिवार असहाय होकर सिर्फ़ आंसू बहा सकता है।

गरीबी ने इन्हें इस कदर जकड़ रखा है कि झोपड़ी में रहकर बीमारी और भूख, दोनों से जंग लड़ रहे हैं।

उनकी पत्नी अपने तीन छोटे बच्चों विकाश पटेल, आकाश पटेल और अंशु कुमारी के साथ बेबसी की ज़िंदगी जी रही हैं।

बच्चे मासूम हैं, लेकिन उनकी मासूमियत अब चिंता में बदल गई है।
हर दिन उनके मन में यह सवाल उठता है – पापा कब ठीक होंगे? पापा हमें छोड़कर तो नहीं चले जाएंगे?
लेकिन इन सवालों का जवाब न माँ के पास है, न पिता के पास।

यह कहानी सिर्फ़ एक परिवार की नहीं, बल्कि उस कड़वी हकीकत की है जिसमें गरीब इंसान बीमारी से लड़ते-लड़ते टूट जाता है।
आज जयप्रकाश चौधरी मौत और ज़िंदगी के बीच जूझ रहे हैं।

सवाल उठता है

क्या सरकार और प्रशासन इस परिवार की सुध लेगा?
क्या मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और स्वास्थ्य विभाग इस पीड़ित परिवार तक मदद पहुँचाएंगे?

गरीब की पुकार बहुत कमजोर होती है, लेकिन जब समाज उसकी आवाज़ बने, तो वह सीधे हुक्मरानों के दिल तक पहुँचती है।

आज ज़रूरत है कि इस परिवार की मदद की जाए ताकि जयप्रकाश का इलाज जारी रह सके,ताकि तीन मासूम बच्चों का भविष्य अंधकार में न डूबे,
ताकि यह परिवार जीने की उम्मीद न खो दे।

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Chandesh Raj

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