0 0
Read Time:4 Minute, 7 Second
देश में अघोषित आपातकाल जैसे हालात
*लगातार हो रहे इस्तीफ़े लोकतंत्र के लिए ख़तरनाक: धीरज दुबे*

गढ़वा : झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के मिडिया पैनलिस्ट सह केंद्रीय सदस्य धीरज दुबे ने देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा कि केंद्र की मोदी सरकार में लोकतंत्र की आत्मा को कुचला जा रहा है। उन्होंने कहा कि विभिन्न संवैधानिक संस्थानों के प्रमुखों और उच्च अधिकारियों द्वारा लगातार दिए जा रहे इस्तीफे इस बात का संकेत हैं कि देश एक अघोषित आपातकाल की स्थिति में प्रवेश कर चुका है।

धीरज दुबे ने कहा कि लोकतंत्र की मजबूती स्वतंत्र संस्थानों की निष्पक्षता और स्वायत्तता से होती है। लेकिन बीते कुछ वर्षों में जिस प्रकार से चुनाव आयोग, विश्वविद्यालय, सूचना आयोग, न्यायपालिका और अन्य संस्थानों से जुड़ी प्रमुख हस्तियां अपने पदों से अचानक त्यागपत्र दे रही हैं, वह चिंताजनक है। यह दर्शाता है कि सरकार की नीतियों और दबावों के कारण स्वतंत्र कार्य करना संभव नहीं रह गया है।

उन्होंने कहा कि देश में डर और दबाव का माहौल बनाया जा रहा है, जहाँ संस्थान अपनी गरिमा खोते जा रहे हैं और पदाधिकारी या तो सरकार के आगे झुकने को मजबूर हैं या इस्तीफा देकर पीछे हट रहे हैं। यह लोकतंत्र के लिए बेहद घातक स्थिति है।

केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद से अब तक कई लोगों ने अचानक इस्तीफा दे दिया है। जिनमें 2016 में नोटबंदी की घोषणा से पहले रिजर्व बैंक आफ इंडिया के गवर्नर रघुराम राजन, 2018 में उर्जित पटेल। 2017 में नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया, 2018 में नीति आयोग के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम, जीडीपी डाटा को लेकर मतभेद के कारण एनएससी के दो स्वतंत्र सदस्य पीसी मोहन एवं जेभी  मीनाक्षी ने 2019 में इस्तीफा दिया था। 2021 में पीएमओ के मुख्य सलाहकार प्रदीप कुमार सिन्हा ने अचानक इस्तीफा दे दिया था। और 2025 में अचानक उपराष्ट्रपति का इस्तीफा ने यह सवाल पैदा कर दिया है कि स्वस्थ लोकतंत्र की जगह तानाशाह सरकार अपने स्वार्थ में देश को ताक पर रखकर काम कर रही है।

धीरज दुबे ने कहा कि एक स्वस्थ लोकतंत्र में असहमति का सम्मान होता है, लेकिन आज जो भी आवाज़ उठाता है, उसे या तो दबा दिया जाता है या बदनाम कर किनारे कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि यह दौर लोकतांत्रिक संस्थाओं की गिरती साख का है, और जनता को सतर्क होकर संविधान व लोकतंत्र की रक्षा के लिए खड़ा होना होगा।

अंत में उन्होंने विपक्षी दलों से भी आह्वान किया कि वे व्यक्तिगत लाभ से ऊपर उठकर देशहित और लोकतंत्र की बहाली के लिए एकजुट हों। देश का भविष्य स्वतंत्र और निर्भीक संस्थाओं पर निर्भर करता है, न कि सत्ता के केंद्रीकरण पर।

About Post Author

Chandesh Raj

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *