बंशीधर नगर (गढ़वा):- झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से गुरुवार को जल क्रांति भवन परिसर में हूल क्रांति दिवस का आयोजन किया गया। इसका शुभारंभ उपस्थित लोगों ने सिद्धू, कान्हू के तस्वीर पर माल्यार्पण कर किया। झामुमो नेत्री किरण देवी ने सिद्धू, कान्हू के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इनका जन्म भोगनाडीह नामक गांव में एक संथाल आदिवासी परिवार में हुआ था। जो वर्तमान में झारखंड के संथाल परगना प्रमंडल के साहिबगंज जिला के बरहेट प्रखंड में है। सिद्धू मुर्मू का जन्म 1815 में हुआ था। वहीं कान्हू मुर्मू का जन्म 1820 में हुआ था। संथाल विद्रोह में सक्रिय भूमिका निभाने वाले इनके और दो भाई भी थे, जिनका नाम चांद मुर्मू और भैरव मुर्मू था। चांद का जन्म 1825 में एवं भैरव का जन्म 1835 में हुआ था। इनके अलावा इनकी दो बहनें भी थीं। जिनका नाम फूलो मुर्मू एवं झानो मुर्मू था। इनके पिता का नाम चुन्नी मांझी था। सिद्ध, कान्हू ने 1855-56 में ब्रिटिश सत्ता, साहूकारों, व्यापारियों व जमींदारों के अत्याचार के खिलाफ एक विद्रोह की शुरुआत की। जिसे संथाल विद्रोह या हुल आंदोलन के नाम से जाना जाता है। संथाल विद्रोह का नारा था करो या मरो अंग्रेजों हमारी माटी छोड़ो। संथाल विद्रोहियों ने अपने परंपरागत हथियारों के दम पर अंग्रेजी सैनिकों को नाकों चने चबाने पर मजबूर कर दिया था। मौके पर प्रखंड अध्यक्ष अमर राम, राजकुमार राम, सुरेश शुक्ला, अमरनाथ पांडेय, मनोज डॉन, वीरेंद्र सिंह, राजू चौबे, इकबाल खान, विनय ठाकुर, संतोष चौबे, सुमंत चौबे, दादुल सिंह, आलमीन अंसारी, सुदेश्वर राम, अमरेंद्र पासवान, रामचंद्र पासवान सहित कई लोग उपस्थित थे।
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