
गढ़वा विशुनपुरा पंचायत से समाजसेवी दीपा कुशवाहा ने कहा है की वर्तमान सरकार के भाषा संबंधी गलत निर्णयो के कारण आज भाषाई आधार पर झारखंडियों में वैमनस्य का भाव उत्पन हो रहा है यह सब सरकार जानबूझकर किसी विशेष क्षेत्र में लोगो अपनी लोकप्रियता हासिल करने के लिए कर रही है जो सरासर गलत है इससे युवाओं का भविष्य हताहत हो रहा है ।वर्तमान सरकार की क्षेत्रिय भाषा की सूची से मगही, भोजपुरी, अंगिका को हटाने की फैसला का मैं पुरजोर विरोध करती हूं क्योंकि जैसा की आप जानते है गढ़वा पलामू लातेहार साहेबगंज गोडा देवघर कोडरमा सहित झारखंड के अधिकांश जिलों में भोजपुरी मगही अंगिका मुख्य रूप से बोली जाती है ।यदि इन भाषाओं को क्षेत्रिय भाषाओं की सूची से हटाने का फैसला वापस नहीं लिया गया तो इन जिलों के विद्यार्थियों का भविष्य खतरे में पड़ जायेगा ।जिस तरह अंग्रेजी बोलने से कोई इंडियन अंग्रेज नही हो जाता उसी तरह से भोजपुरी मगही अंगिका भाषी होने से कोई बाहरी नही हो सकता हमलोग भी झारखंडी मूल के है इसकी मैं गारंटी देती हु और हमारी भाषा भी झारखंड की अखंड भाषा है ।अगर वर्तमान सरकार को संदेह है तो भाषा के आधार पर सर्वेक्षण करा ले जिस भाषा को बोलने वाले लोग की संख्या जैसी है उसी के हिसाब से भाषा को मान्यता दे या फिर इस विषय पर कोई निर्णय ले या फिर भी झारखंड सरकार को यदि लगता है की मगही भोजपुरी अंगिका भाषा बोलने वाले सब के सब बाहरी है तो मैं पूरे भरोसे के साथ कहती हूं की गढ़वा पलामू लातेहार कोडरमा देवघर गोड्डा आदि जिले के90 %लोग इन भाषाओं को बोलते है इसी आधार पर झारखंड सरकार इन जिलों को अपने प्रभाव से मुक्त कर दे ।परंतु यदि हम भोजपुरी मगही अंगिका भाषी लोगों के साथ भेदभाव किया गया तो फिर हमे भाषाई आधार पर एक और अलग राज्य की मांग को लेकर आंदोलन करना हमारी विवशता होगी।इन जिलों के विद्यार्थियों के ऊपर संथाली ,खोरठा ,कुरमाली , नागपुरी आदि भाषा को जबरदस्ती थोपना कही से भी जायज नहीं है ।इन जिलों में चाहे एसटी हो, एसी हो, ओबीसी हो कोई भी हो सबकी भाषा मगही भोजपुरी अंगिका है और उनकी ये मूल है।इसके साथ अन्याय बर्दास्त नही होगा ।और हम इन जिलों के निवासियों से भी आपकी न्यूज के माध्यम से अपील करती हु की अपनी भाषा को संरक्षित रखने के लिए आगे आए और अपनी पहचान के लिए एकजुटता का परिचय दे ताकि हमारे साथ कोई सरकार अनुचित कदम न उठा पाए।
