गढ़वा ब्यूरो अरमान खान की रिपोर्ट
धुरकी प्रखंड के कांग्रेस जिला उपाध्यक्ष सह समाज सेवी मोबिन अंसारी ने बताया कि रमजान के पाक महीने के पूरे रोजे (उपवास )रखने के बाद साल के बाकी महीने में इसी अनुशासन का पालन कर अल्लाह पाक के बताए रास्ते पर चलते हुए अपनी जिंदगी सार्थक एवं सफल बनाना हैं ,जिसमे एक दूसरे के मदद की जाय और आपसी मेल मिलाप को बढ़ाया जाए।रमजान में जकात तथा फितरो के ज़रिए जरूरतमंद में बांट कर उनके खुशियों में शरीक होना भी है। ईद उल फितर सांप्रदायिक सौहार्द का एक बड़ा त्योहार हैं ।
हमारे मुल्क हिंदुस्तान की ख्याति जहां सांप्रदायिक सौहार्द एवं आपसी सदभावाना के कारण हैं वही यहां के पर्व त्यौहार में हर धर्म के आपसी समन्वय एवं एकता के कारण भी हैं ।
भारतीय त्योहारवो में हमारे देश के सांस्कृतिक विविधता झलकती हैं तथा प्रत्येक त्योहार के पीछे लोक कल्याणकारी संदेश निहित रहता हैं ।
ईद के आगमन के साथ ही चारो तरफ खुशयों का सुवास फैलने लगता हैं।ईद लोगों में बेपनाह खुशियां बाटती हैं और आपसी मोहब्बत का पैगाम देती हैं ।
सिर्फ अच्छे वस्त्र धारण करना और अच्छे पकवानों का सेवन करना ही ईद की खुशी नही बल्कि इसमें पैगाम भी निहित हैं।यदि असल खुशी हासिल करना चाहते हैं तो इसका केवल एक ही जरिया हैं अल्लाह को राजी करना वह राजी हो गया तो आपका हर दिन ईद ही ईद हैं ।अल्लाह पाक तभी राजी होता हैं जब उसके जरूतमंदो बंदो की खिदमत (सेवा), बेसहारो को सहारा दिया जाए ,गरीबों यातिमो मिस्किनो तथा पड़ोसीयों का ख्याल जरूर किया जाए तथा लोगों के दुख दर्द को बांटा जाए ।ये त्योहार आज बिखरती मानवीय संवेदनाओं को जोड़ने का भी संदेश देता हैं ।इस त्योहार का उद्देश्य एक दूसरे को आपस में जोड़ने का हैं ।
ईद का संदेश मानव के कल्याण ही हैं यही कारण हैं की हाशिए पर खड़े दिन- दु:खी ,गरीब लाचार लोगों के दुख दर्द को समझे और अपने कोशिशों से उनके चेहरे पर मुस्कान लाए ,तभी हमे ईद की वास्तविक खुशियाँ मिलती है.
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