दर्दभरी दास्तां से गुजरा आयुष का वक्त, 36 घंटे तक बिना छत बर्फबारी में गुजारनी पड़ी दिन और रात, आखिरकार जिला मुख्यालय मेदिनीनगर के हमीदगंज निवासी मेडिकल छात्र अरविंद कुमार का 18 वर्षीय पुत्र आयुष राज पांच दिन के सफर के बाद बुधवार को सकुशल अपने घर लौट गया।
खबर ऐसी है जिसे सुन आप हो जायेंगे दंग
तो चलिए जानते हैं यूक्रेन से पलामू कैसे आया आयुष
पहले यूक्रेन से रोमानिया बार्डर पार करने में उसे चार दिन लगे। इस बीच 36 घंटे तक उसने बिना छत के बर्फ़बारी में गुजारा। माइनस दो डिग्री की कपकपाती ठंड में गुजारा रात।
बताते चलें कि आयुष राज मेडिकल की पढ़ाई करने तीन माह पहले यूक्रेन गया हुआ था। वह ल्वानो फ्रेंकिवस्क नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में प्रथम वर्ष का छात्र है। आयुष ने आपबीती सुनाते हुए कहा कि गत 24 फरवरी को ल्वानो फ्रेंकिवस्क नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी के हास्टल की छत पर बमबारी हुई। छत पर देखा तो धुुंआ नजर आया। उसी समय उसके साथ मौजूद 25 छात्रों के दल ने वहां से निकलने का निर्णय लिया। 25 को निकल नहीं सका, लेकिन 26 को एक बस बुक कर रोमानिया बार्डर की ओर निकल गए।
जिस जगह पर वह रह रहा है, वहां 27 को कब्जा हो गया था। 26 की शाम 5 बजे रोमानिया बार्डर्र से 10 किलोमीटर पहले ही बस ने उन्हें उतार दिया। शरीर को जमा देने वाली कड़ाके की ठंड में छात्रों को पैदल ही रोमानिया बॉर्डर पहंुचना पड़ा। 26 की रात उसे खुले आसमान के नीचे बार्डर एरिया में गुजारनी पड़ी। 28 फरवरी को उसने बार्डर पार किया। 28 को रोमानिया में रात गुजारी और अगले दिन 1 मार्च को वहां से दिल्ली के लिए फ्लाइट पकड़ा। दिल्ली से सुबह 6.30 की फ्लाइट से रांची सुबह 8.30 बजे आया और फिर बस से मेदिनीनगर पहुंचा। आयुष ने कहा कि वॉर शुरू होने के बाद यूक्रेन सरकार और उनके कॉलेज प्रशासन ने भी काफ़ी मदद की।
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